Biography of Mahatma Gandhi in Hindi | महात्मा गांधी का जीवन परिचय आंदोलन, तथ्य, शिक्षा, इतिहास और परिवार

परिचय

महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है, का जीवन संघर्ष, त्याग और सत्य की राह पर चलने की अद्वितीय कहानी है। गांधीजी ने न केवल भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया। उनका जीवन प्रेरणा और आदर्शों का प्रतीक है, जो आज भी प्रासंगिक है। इस ब्लॉग में हम महात्मा गांधी के जीवन, उनके विचारों और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के बारे में विस्तार से जानेंगे।

प्रारंभिक जीवन

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और उनकी माता पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक महिला थीं। गांधीजी का प्रारंभिक जीवन साधारण था और उन्होंने बचपन में ही माता-पिता के धार्मिक और नैतिक संस्कारों को अपनाया।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय

व्यक्तिगत जानकारीविवरण
पूरा नाममोहनदास करमचंद गांधी
जन्म तिथि2 अक्टूबर 1869
जन्म स्थानपोरबंदर, गुजरात, भारत
पिता का नामकरमचंद उत्तमचंद गांधी
माता का नामपुतलीबाई गांधी
पत्नी का नामकस्तूरबा गांधी
विवाह तिथि1883 (कस्तूरबा गांधी से)
बच्चों के नामहरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
शिक्षाबैरिस्टर (लंदन से कानून की पढ़ाई)
प्रमुख आंदोलनअसहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, नमक सत्याग्रह
मृत्यु तिथि30 जनवरी 1948
मृत्यु स्थाननई दिल्ली, भारत
मृत्यु का कारणहत्या (नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारी गई)
उपाधिमहात्मा, राष्ट्रपिता
प्रसिद्ध नारेकरो या मरो, अहिंसा परम धर्म, सत्य ही ईश्वर है

शिक्षा

गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई। 1888 में, वे इंग्लैंड गए और वहाँ से बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की। विदेश में रहते हुए उन्होंने पश्चिमी सभ्यता को निकट से देखा और भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा को और भी गहराई से समझा। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल कानून की समझ दी, बल्कि जीवन के सिद्धांतों के प्रति उनकी आस्था को भी मजबूत किया।

दक्षिण अफ्रीका का अनुभव

गांधीजी के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वे 1893 में एक कानूनी मामले के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव ने गांधीजी को भीतर से झकझोर दिया। दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए गांधीजी ने पहली बार सत्याग्रह का प्रयोग किया। सत्याग्रह का अर्थ है सत्य के प्रति आग्रह और अन्याय के खिलाफ अहिंसात्मक प्रतिरोध। दक्षिण अफ्रीका में उनके नेतृत्व में कई आंदोलनों ने भारतीयों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया।

भारत लौटने पर स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

1915 में, गांधीजी भारत लौटे और देश की राजनीतिक स्थिति का गहन अध्ययन किया। उस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, और देश की अधिकांश जनता गरीब और अशिक्षित थी। गांधीजी ने महसूस किया कि भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा।

असहयोग आंदोलन

1920 में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के साथ सहयोग न करना और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना था। गांधीजी ने भारतीयों से ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार करने और खादी का उपयोग करने की अपील की। असहयोग आंदोलन ने भारतीयों को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।

नमक सत्याग्रह

1930 में गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ नमक सत्याग्रह की शुरुआत की। ब्रिटिश सरकार ने नमक पर कर लगाया था, जिससे गरीब भारतीय जनता पर भारी बोझ पड़ा। गांधीजी ने दांडी यात्रा की, जो 12 मार्च 1930 से शुरू होकर 6 अप्रैल 1930 को समाप्त हुई। इस यात्रा के दौरान गांधीजी ने 240 मील का पैदल सफर तय किया और ब्रिटिश कानून के खिलाफ नमक बनाकर विरोध दर्ज कराया। नमक सत्याग्रह ने भारत में स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी और गांधीजी की लोकप्रियता को और बढ़ाया।

भारत छोड़ो आंदोलन

1942 में गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना और भारत को स्वतंत्रता दिलाना था। गांधीजी के नेतृत्व में यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया और भारतीय जनता ने बड़ी संख्या में इसमें भाग लिया। ‘करो या मरो’ का नारा देकर गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया।

Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की समयरेखा (Timeline) को निम्नलिखित सारणी (Table) में प्रस्तुत किया गया है:

वर्षघटना
18692 अक्टूबर को पोरबंदर, गुजरात में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ।
1888गांधीजी इंग्लैंड गए और वहाँ कानून की पढ़ाई शुरू की।
1893गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए और वहाँ पहली बार नस्लीय भेदभाव का सामना किया।
1894दक्षिण अफ्रीका में नेटाल भारतीय कांग्रेस की स्थापना की।
1906गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
1915गांधीजी भारत लौटे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।
1917चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जो उनका भारत में पहला सत्याग्रह आंदोलन था।
1920असहयोग आंदोलन की शुरुआत की और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अभियान चलाया।
1930दांडी यात्रा की, नमक कानून तोड़ा और ब्रिटिश हुकूमत का विरोध किया।
1942भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया और ‘करो या मरो’ का नारा दिया।
1947भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन विभाजन के कारण गांधीजी ने दुःख व्यक्त किया।
194830 जनवरी को नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई।

यह समयरेखा महात्मा गांधी के जीवन के प्रमुख घटनाओं का एक संक्षिप्त विवरण है, जो उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ों और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को दर्शाती है।

महात्मा गांधी: पुरस्कार (Awards)

महात्मा गांधी को उनके जीवनकाल में व्यक्तिगत रूप से कोई बड़ा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन उनके योगदान को विश्वभर में मान्यता मिली है। एक बड़ा विवाद यह है कि गांधीजी को नोबेल शांति पुरस्कार कभी नहीं मिला, जबकि वे दुनिया भर में अहिंसा और शांति के प्रतीक माने जाते हैं। नोबेल समिति ने कई बार इस पर विचार किया, लेकिन उन्हें यह पुरस्कार कभी नहीं मिला। फिर भी, गांधीजी के विचार और सिद्धांतों ने दुनिया भर में शांति और मानवाधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया।

पुरस्कार का नामविवरण
नोबेल शांति पुरस्कारगांधीजी को 5 बार इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन कभी नहीं मिला।
टाइम मैगज़ीन का ‘Person of the Year’1930 में गांधीजी को टाइम मैगज़ीन ने ‘Person of the Year’ घोषित किया था।
भारत रत्न (मरणोपरांत)उन्हें भारत रत्न नहीं दिया गया क्योंकि वे स्वयं पुरस्कारों के खिलाफ थे।

महात्मा गांधी: फिल्में (Films)

महात्मा गांधी के जीवन पर कई फिल्में बनी हैं, जिनमें से कुछ ने वैश्विक पहचान भी हासिल की है। इन फिल्मों में उनके जीवन, संघर्ष, और विचारों को विभिन्न दृष्टिकोणों से प्रस्तुत किया गया है।

फिल्म का नामनिर्देशकवर्षविवरण
गांधी (Gandhi)रिचर्ड एटनबरो (Richard Attenborough)1982इस फिल्म ने महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित कहानी प्रस्तुत की और इसे कई ऑस्कर पुरस्कार मिले।
द मेकिंग ऑफ़ महात्माश्याम बेनेगल1996यह फिल्म गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका में बिताए गए समय पर आधारित है।
लगे रहो मुन्नाभाईराजकुमार हिरानी2006यह एक मनोरंजक फिल्म है, जिसमें गांधीजी के सिद्धांतों को एक आधुनिक संदर्भ में दिखाया गया है।

महात्मा गांधी से जुड़े रोचक तथ्य (Facts About Mahatma Gandhi)

  1. महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
  2. उन्हें सबसे पहले ‘महात्मा’ का उपनाम रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था।
  3. गांधीजी 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित हुए थे।
  4. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 20 साल बिताए और वहां सत्याग्रह की नींव रखी।
  5. गांधीजी शाकाहारी थे और वे उपवास को आत्म-शुद्धि का माध्यम मानते थे।
  6. उन्होंने ‘स्वराज’ (स्वशासन) और ‘स्वदेशी’ (स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग) के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया।
  7. उनकी आत्मकथा का नाम “सत्य के प्रयोग” (The Story of My Experiments with Truth) है।
  8. गांधीजी के जीवन और सिद्धांतों ने कई महान नेताओं जैसे नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर को प्रेरित किया।

महात्मा गांधी: साहित्यिक कार्य (Literary Works)

गांधीजी ने अपने जीवन में कई पुस्तकें और लेख लिखे, जिनमें उनके विचार, सिद्धांत और जीवन के अनुभव शामिल हैं। उनके साहित्यिक कार्यों ने उनके अनुयायियों और स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया।

पुस्तक का नामविवरण
सत्य के प्रयोग (The Story of My Experiments with Truth)यह गांधीजी की आत्मकथा है जिसमें उन्होंने अपने जीवन और सत्य की खोज के बारे में लिखा है।
हिंद स्वराजयह गांधीजी द्वारा लिखी गई पहली पुस्तक है, जो भारत की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता पर आधारित है।
मेरे सपनों का भारतइस पुस्तक में गांधीजी ने अपने सपनों के भारत की परिकल्पना की है।
यंग इंडिया और हरिजनये उनके द्वारा संपादित पत्रिकाएँ थीं जिनमें वे अपने विचार प्रकट करते थे।

स्वतंत्रता और भारत का विभाजन

भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, लेकिन यह विभाजन के साथ आई। महात्मा गांधी ने हमेशा धार्मिक सौहार्द्र और एकता की बात की, लेकिन विभाजन का दर्दनाक सच सामने आया। गांधीजी ने विभाजन का विरोध किया और उनका मानना था कि भारत हिंदू और मुस्लिम दोनों का देश है। विभाजन के समय हुए हिंसात्मक दंगों ने उन्हें बहुत आहत किया।

विभाजन का प्रभाव

  • विभाजन के परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बने।
  • विभाजन के दौरान लाखों लोग विस्थापित हुए और भारी मात्रा में हिंसा हुई।
  • गांधीजी ने नोआखाली (अब बांग्लादेश) और दिल्ली में शांति के प्रयास किए और हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत की।

गांधीजी के सिद्धांत और विचारधारा

महात्मा गांधी के जीवन के प्रमुख सिद्धांत सत्य और अहिंसा थे। उनका मानना था कि सत्य सबसे शक्तिशाली हथियार है, और इसके साथ अहिंसा का पालन करना ही सच्ची स्वतंत्रता की राह है। गांधीजी का यह विश्वास था कि हिंसा से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता, बल्कि अहिंसा ही समाज को सच्चे अर्थों में बदल सकती है।

सत्य और अहिंसा

गांधीजी ने कहा था, “सत्य ही भगवान है, और भगवान ही सत्य है।” उनके जीवन का हर कार्य सत्य और अहिंसा पर आधारित था। उनका मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान अहिंसा के मार्ग से ही संभव है। चाहे वह व्यक्तिगत हो या राजनीतिक, हर समस्या का समाधान अहिंसा और सत्याग्रह से निकाला जा सकता है।

स्वदेशी और आत्मनिर्भरता

गांधीजी ने स्वदेशी के सिद्धांत पर जोर दिया। उनका मानना था कि भारत की स्वतंत्रता तभी संभव है, जब भारतीय लोग स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों का उपयोग करें। उन्होंने खादी के प्रयोग को बढ़ावा दिया और आत्मनिर्भरता की बात कही। गांधीजी का स्वदेशी आंदोलन ब्रिटिश वस्त्रों और वस्तुओं के बहिष्कार का प्रतीक बना।

गांधीजी की हत्या और उनकी विरासत

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। गांधीजी की मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डूबा दिया, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी जीवित हैं। गांधीजी की हत्या ने सत्य और अहिंसा के महत्व को और भी अधिक स्पष्ट किया।

गांधी जयंती का महत्व

2 अक्टूबर को हर साल गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महात्मा गांधी को उनके योगदान और विचारों के लिए याद किया जाता है। गांधी जयंती 2024 का विशेष महत्व है क्योंकि आज भी गांधीजी के सिद्धांत सत्य, अहिंसा और स्वदेशी की आवश्यकता महसूस की जा रही है। वर्तमान समय में, जब दुनिया हिंसा और भेदभाव से ग्रसित है, गांधीजी के विचार एक प्रकाशस्तंभ के रूप में मार्गदर्शन करते हैं।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी का जीवन परिचय हमें सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों पर चलने की प्रेरणा देता है। उनका जीवन एक उदाहरण है कि कैसे सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए दुनिया को बदलना संभव है। गांधीजी का योगदान न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय था, बल्कि उनकी विचारधारा आज भी समाज को सुधारने और सशक्त बनाने के लिए प्रासंगिक है। गांधी जयंती 2024 पर हम सबको उनके सिद्धांतों को अपनाने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

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